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कोटा थर्मल के बेरोजगार अप्रेंटशिप युवाओ ने ट्विटर पर खोला मोर्चा

Kotatimes

Updated 3 years ago

KOTATIMES 26 JUNE 2021 रोजगार के मुद्दे पर RVUNL से अपप्रेंटिसशिप कर चुके युवाओ ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार से नियुक्ति की मांग को लेकर ट्विटर पर मोर्चा खोल दिया है। युवा मंच के आह्वान पर इस अभियान में हजारों ट्वीट किये जा रहे जिसका समर्थन राजनीतिक पार्टियों द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा सभी अप्रेंटिस बेरोजगारों ने सोई हुई सरकार को जगाने के लिए स्पीड पोस्ट ओर ईमेल के जरिये अपनी मांग CM अशोक गहलोत समेत राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और सभी राजस्थान सरकार के मंत्रियों को भेजी ओर नियुक्ति की मांग की।

2017 में हाई कोर्ट ने RVUNL को यह दिया था आदेश
 
23 फरवरी 2017 को   RVUNL से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री वीरेन्द्र लोढ़ा ने अदालत को आश्वासन दिया है कि अपप्रेंटिस अधिनियम, 1961 के संशोधित प्रावधानों के तहत नीति आज से तीन महीने की अवधि के भीतर प्रतिवादियों द्वारा तैयार की जाएगी। श्री लोढ़ा ने आगे आश्वासन दिया है कि उक्त नीति उत्तरदाताओं की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।
 
राजस्थान हाई कोर्ट के माननीय श्रीमान जस्टिस कंवलजीत सिंह अहलूवालिया ने आदेश दिया कि प्रतिवादियों द्वारा की जाने वाली सभी नई भर्तियां प्रतिवादियों द्वारा तैयार की जाने वाली शिक्षु नीति का पालन करेंगी।
 
लेकिन विभाग द्वारा युवाओ के हित की नीति नही बन सकी और कुछ भी अनर्गल नीति बनाकर पेश कर दी गयी।
आँखे मूँद कर बना दी नीति
इस नीति में विभाग द्वारा अप्रेंटिस युवाओ को एक वर्ष की आयु में छूट का आस्वासन ओर परीक्षा में समान अंक आने पर अप्रेंटिस को प्राथमिकता देने का बिंदु रखा, जो दोनों ही बिंदु युवाओ के हक़ में नही है।
सभी अप्रेंटिस युवा 30 वर्ष तक कि आयु के है और उनको इस नीति का लाभ लेने के लिए 40 वर्ष तक का होने का इंतजार करना पड़ेगा।
 
अतः सभी अप्रेंटिस युवाओ की सरकार से विनती है कि उनके भविष्य को ध्यान में रखकर दूसरे विभागों की भाँति 350 अनुभवी युवाओ को भी विभाग नियुक्ति की नीति बनाकर स्थाई नियुक्ति दे ताकि सभी अपप्रेंटिस युवाओँ के साथ न्याय हो।
 
इससे पहले भी बिजली विभाग में संविदा पर लगे हुए कर्मचारियों को experienced कोटा के तहत विभाग में ही स्थाई नियुक्ति मिल चुकी है तो अपप्रेंटिस युवाओ के साथ ये दोहरा व्यवहार क्यो सरकार उनको भी एक्सपेरेंसीड कोटा के तहत नियुक्ति दे ताकि वो अपने आपको ठगा सा महसूस ना करे और उनका अनुभव विभाग के काम आ सके और 350 युवाओ को रोज़गार मिल सके।
 
राजस्थान हाई कोर्ट के माननीय श्रीमान जस्टिस कंवलजीत सिंह अहलूवालिया ने वर्ष 2017 में अपप्रेंटिस के हक़ में आदेश दिया था कि प्रतिवादियों द्वारा की जाने वाली सभी नई भर्तियां प्रतिवादियों द्वारा तैयार की जाने वाली शिक्षु नीति का पालन करेंगी।
 
2015 से लेकर अब तक 2 बार विभाग जूनियर इंजिनियर के पद के लिए आवेदन पत्र भरवा चूका लेकिन एक बार भी RVUNL ने अप्रेंटिस युवाओ के बारे में नहीं सोचा - 
 

राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को राजस्थान विधुत उत्पादन निगम लिमिटेड ने किया नज़रंदाज़

बेरोजगार युवाओ ने कहा है की सरल शब्द में यह फैसले या अदालत की प्रतिष्ठा के खिलाफ जानबूझकर की गई अवज्ञा है। जब विभाग को उनकी जरुरत थी तब उन्होंने पदों की संख्या में वृद्धि करके उनसे कार्य करवाया गया और जैसे ही जूनियर इंजिनियर की वैकंसी कोर्ट ने क्लियर कर दिया तो उन पर ध्यान नहीं दिया I