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मध्य प्रदेश में पिता ने अपने बेटे को एग्जाम सेंटर पर ले जाने के लिए 105 किमी का सफ़र साइकिल से तय किया

Kotatimes

Updated 4 years ago

मध्य प्रदेश के धार जिले में रहने वाले एक व्यक्ति शोभराम ने अपने बेटे को एग्जाम सेंटर पर ले जाने के लिए 105 किमी तक साइकिल पर यात्रा की। उनके बेटे आशीष को मध्य प्रदेश सरकार की "रुक जाना नहीं" योजना के तहत आयोजित की जा रही 10वीं बोर्ड की पूरक परीक्षाओं के लिए उपस्थित होना था। 

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मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड कि तरफ से एक अभियान चलाया "रुक जाना नहीं"स अभियान के तहत 10वीं और 12वीं में असफल छात्रों को एक और मौका दिया गया, जिसके तहत आशीष के तीन पेपर होने थे लेकिन उसका परीक्षा केंद्र उसके घर से 105 किमी दूर पड़ा व कोरोना संकट के कारण सार्वजनिक परिवहन के साधन बंद थे। तथा घर में कोई साधन न होने के कारण उन्होंने साइकिल से सफ़र तय करने का फैसला लिया।

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आशीष के पिता ने कहा कि "मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ बने। लॉकडाउन में कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं है, मेरे पास एक मोटरसाइकिल भी नहीं है, इसलिए मुझे साइकिल पर यात्रा को कवर करना होगा। मैंने ’मज़दूरी’ (दैनिक मजदूरी का काम) करके परीक्षा के लिए अपने बेटे के फॉर्म के लिए पैसा बचाया। मैं एक किसान हूं, लेकिन ज्यादातर दैनिक मजदूरी करता हूँ।"

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शोभराम के बेटे की मंगलवार को गणित की परीक्षा थी और समय पर पहुंचने के लिए उन्होंने सोमवार को तहसील से शुरुआत की थी। मांडव में रात बिताई और परीक्षा से कुछ मिनट पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचे। आवास की कमी के कारण, उन्होंने अपने साथ तीन दिन का भोजन भी रखा। शोभराम के बेटे आशीष ने बुधवार को सामाजिक विज्ञान की परीक्षा दी।

धार जिले में आदिवासी कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त बृजेश चंद्र पांडे ने कहा, “मुझे पिता और पुत्र दोनों के श्रमसाध्य प्रयासों के बारे में पता चला। यह वास्तव में प्रेरणादायक है।
चूँकि वे 24 अगस्त तक यहाँ रुकने वाले थे, इसलिए हमने उनके रहने और खाने की व्यवस्था की है और हम उनके गाँव वापस जाने की व्यवस्था भी करेंगे।"

महिंद्रा कंपनी के मालिक आनंद महिंद्रा ने पिता पुत्र द्वारा पुरे किये गए इस संकल्प कि सराहना करते हुए ट्वीट किया कि , "इस पिता को सलाम! जो अपने बच्चों के लिए सुनहरे भविष्य का सपना देखते हैं। यही ख्वाब एक देश को आगे बढ़ाते हैं। हमारी संस्था आशीष की आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाएगी।" 

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