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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महेंद्र सिंह धोनी ने सोशल मीडिया से की संन्यास की घोषणा

Kotatimes

Updated 4 years ago

  • एमएस धोनी ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सोशल मीडिया से की संन्यास की घोषणा
  • वीडियो शेयर कर संन्यास का ऐलान- बैकग्राउंड में गाना- 'मैं पल दो पल का शायर हूं'
'मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है'
इस गीत के साथ ही  अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट(international cricket) से विदा लेने वाले महेंद्र सिंह धोनी की कहानी कुछ पलों की नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास की अनोखी गाथा  है।

Mahendra Singh Dhoni announced his retirement from social media on the occasion of Independence Day

धोनी सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद एक दिन अचानक टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया जब वह टेस्ट मैचों का शतक बनाने से 10 शतक दूर थे। इसके पांच साल और सात महीने बाद 15 अगस्त को जब देश आजादी के 74 साल पूरे होने का जश्न मना रहा था तो शाम को धोनी ने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'शाम 7 बजकर 29 मिनट से मुझे रिटायर्ड समझिए।'
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तनाव और दबाव के बीच कभी विचलित नहीं होने वाले धोनी ही ऐसा कर सकते थे। देश को 28 बरस बाद वनडे वर्ल्ड कप जिताने के बाद निर्विकार भाव से पविलियन का रुख करने वाला कप्तान बिरला ही होता है। अपने जज्बात कभी चेहरे पर नहीं लाने वाले धोनी के निजी फैसले यूं ही अनायास आए हैं। उन्हें जानने वाले भी ये दावा नहीं कर सकते कि उनके भीतर क्या चल रहा है। क्रिकेट के मैदान पर उनका जीवन खुली किताब रहा है लेकिन निजी जिंदगी के पन्ने उन्होंने कभी नहीं खोले, जिसमें वह सोचते और फैसले लेते आए हैं।


वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में रन आउट होने के बाद से पिछले एक साल में उन्हें लेकर तरह तरह की अटकलें लगी लेकिन उन्होंने चुप्पी नहीं तोड़ी। धोनी की कहानी सिर्फ क्रिकेट की कहानी नहीं बल्कि क्रिकेट की दुनिया में आए बदलाव की भी कहानी है। बड़े शहरों में क्रिकेट खेलते लड़कों को देखकर हाथ में बल्ला या गेंद थामने की इच्छा रखने लेकिन उन्हें पूरा कर पाने का हौसला नहीं रखने वाले अपनी पीढी के लाखों युवाओं के वह रोलमॉडल बने।

परंपरा से हटकर सोचना और हुनर पर भरोसा रखना उनकी खासियत रही। यही वजह है कि T20 वर्ल्ड कप 2007 फाइनल में उन्होंने जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर थमाया, जिनका कोई नाम भी नहीं जानता था। उस मैच ने शर्मा को हीरो बना दिया। धोनी उस शहर से आते हैं, जहां युवाओं का लक्ष्य आईआईटी या यूपीएससी की तैयारी करना रहा करता था लेकिन उनके बचपन के कोच केशव रंजन बनर्जी के अनुसार धोनी की कहानी ने यह सोच बदल दी।

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