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अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस

Kotatimes

Updated 4 years ago

अंतरराष्ट्रीय  नर्स  दिवस  कब  मनाया  जाता  है -

दुनिया भर में में हर साल 12 मई को फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्मदिवस को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2020 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)”हेल्थ फॉर ऑल” (Health for all)’ है।

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का इतिहास:

‘नर्स दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी ‘डोरोथी सदरलैंड’ ने प्रस्तावित किया था। अंतत: अमेरिकी राष्ट्रपति डी.डी. आइजनहावर ने इसे मनाने की मान्यता प्रदान की। इस दिवस को पहली बार वर्ष 1953 में मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया। नर्सिंग पेशेवर की शुरूआत करने वाली प्रख्यात ‘फ्लोरेंस नाइटइंगेल’ के जन्म दिवस 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाने का निर्णय वर्ष 1974 में लिया गया।

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व:

नर्सिंग को विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य पेशे के रूप में माना जाता है। नर्सिस को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्तर जैसे सभी पहलुओं के माध्यम से रोगी की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित, शिक्षित और अनुभवी होना चाहिए। जब पेशेवर चिकित्सक दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते है, तब रोगियों की चौबीस घंटे देखभाल करने के लिए नर्सिस की सुलभता और उपलब्धता होती हैं। नर्सिस से रोगियों के मनोबल को बढ़ाने वाली और उनकी बीमारी को नियंत्रित करने में मित्रवत, सहायक और स्नेहशील होने की उम्मीद की जाती है।

अतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस क्यों मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस निम्न वज़ह से मनाया जाता है:-

  • स्वास्थ्य सेवाओं में नर्सिस के योगदान को सम्मानित करने के लिए।
  • रोगियों के कल्याण के लिए नर्सिस को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए।
  • नर्सिस से संबंधित विभिन्न मुद्दों के बारे में चर्चा करने के लिए।
  • उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना करने के लिए।

राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार:

इस दिन नर्सों के सराहनीय कार्य और साहस के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्‍याण मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कार की शुरुआत की। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष फ्लोरेंस नाइटिंगल के जन्म दिन के अवसर पर फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्‍कारइ प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति  के द्वारा प्रदान किये जाते हैं इस पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।


Florence Nightingale Biography in Hindi

फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक अच्छे परिवार में पैदा हुई थी|उनका नाम इटली के शहर के नाम पर था जहाँ पर 12 मई सन 1820 को वह पैदा हुई थी|फ्लोरेंस इंग्लैंड में पली बड़ी,घर पर ही उसे उसके पिता ने पढाया| उसने अंग्रेजी, इटैलियन, लैटिन, जर्मनी, फ्रेंच, इतिहास और दर्शन सीखा|

फ्लोरेंस ने अपनी बहिन और माता-पिता के साथ अनेक देशो की यात्रा की| उसने अपने लिए बहुत सारे लेख लिखे| एक दिन उसने लिखा, "आज ईश्वर मुझसे बोला और मुझे अपनी सेवा में बुलाया| उसने जीवन में कुछ उपयोगी कार्य करने का पक्का इरादा किया|

फ्लोरेंस दुसरे लोगो की मदद करना चाहती थी| वह एक नर्स बनना चाहती थी लेकिन उसके माता -पिता और उसकी बहिन उसे नर्स नहीं बनने देना चाहते थे| 

उसके माता-पिता उसकी एक धनी आदमी से शादी करके उसे आराम की जिंदगी में स्थिर करने की आशा करते थे|

उन दिनों में अच्छे परिवारों की महिलाएं नर्स नहीं बनती थी| उन्हें बहुत कम धन मिलता था| उनका किसी के द्वारा भी बहुत आदर नहीं होता था| उन दिनों में अस्पताल अच्छे नहीं थे| वे गंदे स्थान थे| बिस्तरों पर चादर नहीं बदली जाती थी और रोगियों को कभी भी साफ नहीं किया जाता था| अस्पताल में नर्सो को लकड़ी के कटघरे में रोगी के रोगी कक्ष से बाहर सोना पड़ता था|

फ्लोरेंस ने इन सब की परवाह नहीं की| उसने चुपचाप नर्स बनने की योजना बना ली| उसे पहला मौका तब मिला जब उसकी दादी बीमार हो गई|

फ्लोरेंस उसके साथ ही रही और उसकी देखभाल की| धीरे-धीरे उसने पास के गांव के गरीब लोगो की मदद करनी शुरू कर दी| फ्लोरेंस ने जल्दी ही जान लिया की वह अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर पा रही थी| उसने अपना कार्य करने के लिए प्रशिक्षण नहीं लिया था| इसलिए दवाओ के विषय में किताबे पढना शुरू कर दिया| कुछ सालो बाद उसे जर्मनी जाने का मौका मिला| वहां एक अस्पताल में नर्सिंग सीखने के लिए मौका मिला|

जब वह इंग्लैंड वापिस लौटी तो वह एक संस्था ‘केयर ऑफ़ द सिक’ की सुपरिंटेंडेंट बन गयी| उसने नर्सो को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया और प्रसिद्ध हो गयी|

सन 1854 में क्रीमियन लड़ाई शुरू हो गयी| सरकार ने फ्लोरेंस को एक संस्था ‘संटरी इन टर्की’ भेजा| वह चालीस नर्सो की टीम की इंचार्ज बनाई गई| संटरी में अस्पताल, लड़ाई में घायल सिपाहियों से भरा था|
फ्लोरेंस ने अस्पताल की हालत सुधारने के लिए बहुत सख्त प्रयास किया|

उसने अस्पताल की सफाई की और नया रसोईघर बनाया जो अच्छा खाना देता था| अपने ही धन से उसने रोगियों के लिए नई चादरे और कपडे ख़रीदे| रोगियों की बाते सुनने में वह घंटो समय बिताती थी| उसने उन्हें खुश और आराम से रखने का भरसक प्रयत्न किया| रात्री में वह एक चिराग के साथ, एक बिस्तर से दुसरे बिस्तर पर जाती थी| इसी से उसका नाम ‘लेडी विद द लैम्प’ पड़ गया|

फ्लोरेंस ने इतना सख्त परिश्रम किया की वह बहुत बीमार हो गयी| लेकिन उसके इंग्लैंड जाने से इंकार कर दिया| सन 1860 में उसने नर्सो के लिए नाइटिंगेल स्कूल खोल दिया| उसके प्रयत्नों के फलस्वरूप सारे देश में नर्सो का आदर होने लगा| 

फ्लोरेंस नाइटिंगेल 13 अगस्त सन 1910 को लन्दन में गुजर गयी| नर्सिंग के इतिहास में वह एक महानतम प्राणी है|

 तो दोस्तों ! यह था Florence Nightingale  का जीवन – परिचय| इसमें हमने उनके जीवन के लगभग सभी अंशो को टच किया है| आपको Florence Nightingale की जीवनी कैसी लगी |हमें अपने कमेंट के द्वारा बताये |

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